पीएम मोदी ने विश्व शेर दिवस पर खास तस्वीरें शेयर कीं, जो बहुत अच्छी खबर है।

 

 

विश्व शेर दिवस (World Lion Day) हर साल 10 अगस्त को मनाया जाता है। इस दिन को मनाने का मुख्य उद्देश्य शेरों की आबादी में तेजी से हो रही कमी को रोकना है।

विश्व शेर दिवस
फोटो क्रेडिट :ट्विटर

विश्व शेर दिवस(World Lion Day) हर साल 10 अगस्त को मनाया जाता है और इस दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया पर शेरों की कई तस्वीरें शेयर कीं और शेरों के संरक्षण के प्रयासों में शामिल लोगों की सराहना की। अपने पोस्ट में पीएम (World Lion Day) ने शेरों की सुरक्षा के लिए समर्पित सभी व्यक्तियों के प्रति आभार व्यक्त किया और उनके संरक्षण के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराई। यह सर्वविदित है कि भारत के गिर, गुजरात में शेरों की अच्छी खासी आबादी है और हाल के वर्षों में उनकी संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, जो एक सकारात्मक विकास है।

विश्व शेर दिवस

क्यों मनाया जाता है वर्ल्ड लायन डे (World Lion Day)?

 

इस दिन को मनाने का मुख्य उद्देश्य शेरों की आबादी में हो रही खतरनाक कमी को रोकना है। हाल के वर्षों में उनकी संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, जो एक सकारात्मक विकास है। हालांकि, 2001 से अफ्रीकी शेरों की आबादी में 43% की गिरावट आई है, जो एक चिंताजनक प्रवृत्ति है।

 

  1. शेरों के बारे में रोचक तथ्यों में यह तथ्य शामिल है कि वे हमेशा समूहों में रहते हैं।

 

2.शेर की दहाड़ 8 किलोमीटर की दूरी से सुनी जा सकती है।

 

3.शेरों को शिकार करना विशेष रूप से रात के समय पसंद होता है।

 

4.एक शेर प्रतिदिन कम से कम 20 घंटे सोता या आराम करता है।

 

बिग कैट रेस्क्यू नामक संगठन ने 2013 में विश्व शेर दिवस मनाने का फैसला किया। इस संगठन की नींव 2009 में फिल्म निर्माताओं और पर्यावरणविदों डेरेक और बेवर्ली जौबर्ट ने शेरों की रक्षा के लक्ष्य के साथ रखी थी। शिकार और अवैध शिकार के कारण जंगली बिल्लियों की संख्या में कमी आने के कारण उसी वर्ष बिग कैट इनिशिएटिव (बीसीआई) की स्थापना की गई थी। मौजूदा शेर प्रजातियों को बचाने के लिए नेशनल जियोग्राफिक और बीसीआई की स्थापना की गई, जिसके कारण 2013 से विश्व शेर दिवस मनाने की परंपरा शुरू हुई।

 

भारत में शेरों की आबादी।

विश्व शेर दिवस

दिलचस्प तथ्य यह है कि भारत को इस मुद्दे पर विशेष रूप से ध्यान देना चाहिए। भारत वास्तव में लुप्तप्राय एशियाई शेरों का मूल निवास स्थान है, जो मुख्य रूप से गुजरात के गिर राष्ट्रीय उद्यान और वन्यजीव अभयारण्य में पाए जाते हैं। नवीनतम जनगणना से पता चलता है कि भारत में शेरों की आबादी लगभग 674 है। गिर राष्ट्रीय उद्यान में संरक्षण प्रयासों ने एशियाई शेरों की आबादी को बनाए रखने और थोड़ा बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। सरकारी डेटा बताता है कि इन शेरों की संख्या 2015 में 523 शेरों की संख्या थी से बढ़कर 2020में शेरों की संख्या में बड़ोतरित होकर 674 हो गई है।

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एशियाई शेरों के संरक्षण के लिए परियोजना।

 

भारत सरकार के पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने एशियाई शेरों की सुरक्षा के लिए “एशियाई शेर संरक्षण परियोजना” शुरू की है। गिर के अलावा, भारत में कई राष्ट्रीय उद्यान हैं जहाँ शेरों को करीब से देखा जा सकता है। उदाहरण के लिए, राजस्थान में कुंभलगढ़ वन्यजीव अभयारण्य न केवल शेरों बल्कि तेंदुओं और बाघों को भी देखने का अवसर प्रदान करता है।

 

राजस्थान में एक और सीता माता वन्यजीव अभयारण्य है जहाँ आप एशियाई शेरों की एक महत्वपूर्ण आबादी देख सकते हैं। आप दोस्तों, परिवार या अकेले ही अभयारण्य में घूमने का विकल्प चुन सकते हैं।

 

विश्व शेर दिवस कब मनाया जाता है?

विश्व शेर दिवस हर साल 10 अगस्त को मनाया जाता है।

विश्व शेर दिवस मनाने का मुख्य उद्देश्य क्या है?

इस दिन का मुख्य उद्देश्य शेरों की आबादी में हो रही तेजी से कमी को रोकना और उनके संरक्षण के प्रयासों को प्रोत्साहित करना है।

शेरों की आबादी में हाल के वर्षों में क्या बदलाव आया है?

हाल के वर्षों में शेरों की आबादी में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, विशेष रूप से भारत के गिर राष्ट्रीय उद्यान में। हालांकि, अफ्रीकी शेरों की आबादी में 2001 से 43% की गिरावट आई है, जो चिंताजनक है।

शेरों के बारे में कुछ रोचक तथ्य क्या हैं?

– शेर हमेशा समूहों में रहते हैं।- शेर की दहाड़ 8 किलोमीटर की दूरी से सुनी जा सकती है।- शेरों को शिकार करना विशेष रूप से रात के समय पसंद होता है।- एक शेर प्रतिदिन कम से कम 20 घंटे सोता या आराम करता

है।

विश्व शेर दिवस की शुरुआत कब हुई थी और किसने की थी?

विश्व शेर दिवस 2013 में बिग कैट रेस्क्यू नामक संगठन द्वारा मनाना शुरू किया गया था, जिसे डेरेक और बेवर्ली जौबर्ट ने स्थापित किया था।

भारत में शेरों की आबादी कितनी है?

भारत में शेरों की वर्तमान आबादी लगभग 674 है, जो मुख्य रूप से गुजरात के गिर राष्ट्रीय उद्यान में पाई जाती है। 2015 में यह संख्या 523 थी।

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