श्राद्ध करने की श्रेष्ठ विधि(shraaddh karane kee shreshth vidhi)के बारे में विस्तार से जानें। पितृदोष निवारण, पूजा विधि, और श्राद्ध का महत्व समझें। जानिए श्राद्ध में किन बातों का ध्यान रखना चाहिए।
श्राद्ध करने की श्रेष्ठ विधि(shraaddh karane kee shreshth vidhi)
श्राद्ध करने की श्रेष्ठ विधि (shraaddh karane kee shreshth vidhi) पहले आपको स्वस्थ होना चाहिए स्नान करना चाहिए और स्वस्थ वस्त्र की होना चाहिए। और श्राद्ध करने के लिए उनकी तिथि ज्योति के पास पूछना चाहिए और जो निश्चित समय पर और मुर्त के टाइम पर ही होना चाहिए।
और श्राद्ध करने के लिए एक संकल्प लिया जाता है जो पितृ का नाम से होता है। और श्राद्ध करने के लिए जहां पर जल, तिल गंगाजल की भी जरूरत पड़ती है और ब्राह्मणों को भोजन करवाना भी होता है और पितरों के लिए भी भोजन का निवेदन किया जाता है।
और श्रद्धा के दिन दान भी करना आवश्यकता है श्राद्ध के लिए मंत्र का आविष्कार भी किया जाता है अगर आपके घर पर पितृ स्थान है तो आप अवश्य श्राद्ध कर सकते हैं।श्राद्ध करने की श्रेष्ठ विधि(shraaddh karane kee shreshth vidhi) कर सकते हैं।
श्राद्ध के लिए शुभ मुहूर्त
श्रद्धा के लिए शुभ मुहूर्त जो दोपहर में आज 12:38 बजे तक है
और कुतुब मुहूर्त जो 11:49 से 12:37 बजे तक है।
श्रद्धा के पूजा सामग्री
छोटी सुपारी,कपूर,रक्षा सूत्र,सफ़ेद फूल,सिंदूर,अगरबत्ती,माचिस, चावल,देसी घी,दूध, केला,रुई बत्ती,रोली,काला तिल,हवन सामग्री,गंगाजल,गाय का घी,तुलसी पत्ता,हल्दी,पान का पत्ता,स्वांक के चावल,दही,खीर,खजूर,शहद,जौ का आटा,गन्ना ,गुड़,मूंग,मिट्टी का दीया,जनेऊ, ओर उड़द यह सारी साथ की पूजा करने के लिए सामग्री में जरूरी चीज है।
श्रद्धा पूजा विधि
श्रद्धा की पूजा विधि की प्रक्रिया शुरू करने से पहले चावल की पीठ बनाकर जो हम पितरों को अर्पण करते हैं उसके बाद वीडियो को जल में प्रवाहित करते हैं। या फिर आप ब्राह्मणों को भी दे सकते हैं इसके बाद जिसमें चावल जल तिल और कुश डालकर अपने पूर्वजों को अर्पित करते हैं।
श्रद्धा तर्पण विधि
श्रद्धा की तर्पण विधि जो के दो टाइम हो सुबह और शाम दोनों टाइम आपको स्नान करके पितरों को याद करना जरूरी है और पितरों को तर्पण के लिए सूर्योदय से पहले जुड़ी लेकर जहां पर पिपरा का वृक्ष जहां पर नीचे समर्पित करने हैं इसके बाद आप थोड़ा गंगाजल चढ़ाई सदा चल और दूध लेकर पूरा जो और काले तिल भी डालें और फिर पितरों को खुशी से जुड़े पर 108 बार चढ़ चढ़ाई।
श्रद्धा ब्राह्मण भोजन
श्राद्ध करते समय हम ब्राह्मण को भी भोजन करते हैं सब्जियां खीर पूरी वगैरा हम उनका भोजन करते हैं भोजन करने के बाद हम उन्हें वस्त्र भी दान करते हैं और कुछ दक्षिणा देकर हम उन्हें विदाई करते हैं।श्राद्ध करने की श्रेष्ठ विधि(shraaddh karane kee shreshth vidhi) विधि पुण कोनेके बाद विदाई करते हैं।
श्राद्ध में किन बातों का ध्यान रखें
श्राद्ध करने से पहले आपको एक बात ध्यान में रखनी चाहिए हंसराज करने के लिए गाय का की दूध दही का उपयोग करते हैं जिसमें हमें ध्यान में ही रखना चाहिए की गाय ने बच्चा देने के बाद उन्हें 10 दिन हो गए हैं या 10 दिन से अधिक है तो हम इसकी दही दूध दही का की उपयोग कर सकते हैं या 10 दिन से कम है तो हम उसका गाय दूध थी शर्तों में उपयोग नहीं किया जाता है और स्वाद में जो बर्तन है वह चांदी के होते हैं और दान पुण्य टोपी है और रक्षों का नाश करने वाला भी माना जाता है।
श्राद्ध शुद्धता
श्राद्ध करते हैं तो हमें उनकी पूरी शुद्धता का भी ख्याल रखना चाहिए जिससे कि हमें किसी की तरह का तेल दान या नहीं देना चाहिए जहां पर हमें वह सिर्फ वह दान देना चाहिए पितृ को सिर्फ वह ताजा हो और सूट हो वहीं उन्हें अर्पित किया चाहिए पितृ को आप झूठ या बच्चा खाना नहीं दे।
श्राद्ध मन की शांति
श्राद्ध करते समय मन की शांति भी होना जरूरी है हम पितरों की शांति के लिए हम उन्हें पिंडदान भी करते हैं और वह हम निबंध आत्मक की शांति मिलने के लिए वह हम करते हैं या उसके बाद वह उन्हें संतोष हो जाता है और फिर सुखी और संतोष होकर वापस लौट जाते हैं।
श्राद्ध दान
हम श्रद्धा करते समय और पूजा विधि संपूर्ण प्रदान करने के बाद संपूर्ण विधि होने के बाद पिंडदान के लिए और दान के लिए कुछ दान भी करना जरूरी है।